शुक्रवार, 15 मई 2015

कुछ ज्यादा पाने की चाह


चाहे आप जो हों, चाहे जितना ज्यादा या कम कमाते हों, चाहे जितने योग्य या अयोग्य, चाहे किसी मजहब या संस्कृति के मानने वाले हों... हम सभी में एक बात सामान्य है कि हम अपनी वर्तमान परिस्थिति से कुछ बेहतर और अधिक पाने की चाह रखते हैं। किसी भी व्यक्ति की सफलता का आंकलन भी उसकी अतीत की परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थितियों में आए परिवर्तन के आधार पर किया जाता है। यदि सामाजिक और आर्थिक रूप से कोई अपने बीते समय के मुकाबले बेहतर दिखता है तो उसे सामान्य तौर पर सफल मान लिया जाता है। भौतिक जगत में हम सभी की अपनी वर्तमान परिस्थितियों के मुकाबले भविष्य में बेहतर परिस्थितियां निर्मित करने की आदत के मूल में यही बात होती है। ये भी सत्य है कि आप चाहे जिन हालात में हो और जिस भी हालात में पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे हो, वहां पहले से कोई पहुंचा हुआ है और वो इससे इतर अपने लिए कुछ ज्यादा पाने की चाह में  जद्दोजहद कर रहा है।
योगानंद परमहंस
आध्यात्मिक यात्रा ही विवेक की यात्रा है और विवेक पूर्ण विचार निजता का विषय है। जब सही प्रश्न उठें और उनका समाधान अपने भीतर ही मिल जाए तो विवेक का पूर्ण जागरण होता है। दूसरों की गलतियों से सीख लेने वाला, अपनी गलतियों से सीख लेने वालों के मुकाबले अधिक ज्ञानी होता है। हर बात को आजमाकर देखने की आवश्यकता नहीं होती क्यूंकि उनके सामान्य परिणाम उनके अच्छे या बुरे होने को बयां कर देते हैं। उदाहरण के लिए अनियमित दिनचर्या और असंयमित भोजन से होने वाली हानि के लिए इनका अनुभव करने की कोई आवश्यक्ता नहीं है। शत प्रतिशत उदाहरण और नतीजे इनसे होने वाली हानि की ओर इशारा करते हैं। कुछ ज्यादा पाने की चाह आपको सामाजिक रूप से आगे तो दिखाती है लेकिन ये भूख कभी शांत नहीं होती।

स्वामी शरणानंद
लौकिक जगत की प्राप्तियों के संदर्भ में जो सिद्धांत है वो अलौकिक जगत के संदर्भ में नहीं है। लौकिक वो है जो आपकी नजरों के सामने है और अलौकिक वो जो आपकी लौकिक दृष्टि से परे है। अलौकिक यात्रा में कुछ और पाने की चाह आपको कुछ भी नहीं पाकर सब कुछ पा लेने की स्थिति में ले जाती है। आप जो भी कर रहे हैं जिस भी परिस्थिति में हैं और जिस भी योग्य है खुद को बेहतर करते जाएं लेकिन संतुष्टि का भाव तभी आएगा जब आप आध्यात्मिक उन्नति की तरफ उत्तरोत्तर वृद्धि का प्रयास करेंगे। योगानंद परमहंस के शब्दों में आपके वर्तमान में किए गए आध्यात्मिक प्रयास ही भविष्य की हर कामयाबी का आधार होंगे। स्वामी शरणानंद जी के शब्दों में, कुछ ज्यादा पाने की चाहत करनी ही है तो उस जीवन को पाने की चाहत कीजिए जो कभी भी किसी भी महामानव को मिला है।

सोमवार, 4 मई 2015

Satya Ki Khoj: Book by Dr. Praveen Tiwari: Reviews in Various Newspapers

हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित सत्य की खोज की समीक्षा


नवभारत टाइम्स में सत्य की खोज
दैनिक भास्कर के रसरंग में सत्य की खोज
हरिभूमि में सत्य की खोज

Satya ki khoj Navodaya Times
satya ki khoj in Live India Magazine

Satya ki khoj Punjab Kesari
satya ki khoj in Prajatantra Live

satya ki khoj Veer Arjun